नोवेम्बर रेन - गन्स एंड रोज़ेज़



जब अबसार में है झलकता हुआ
मंज़र-ए-इश्क बंदिश में
जो आगोश में है सिमटता हुआ
एहसास के इश्क ताबिश में

वक़्त हरदम हमता नहीं
दिल बेशक बदलते हैं
नूर-ए-शमा जिंदा नहीं
गर फलक से अश्क बरसते हैं

आशिक आते हैं आशिक जाते हैं
यौम कहॉ रुखसत हुआ
गर वक़्त को साख पे रखते हैं
दिल चैन में तू अपना हुआ

है इश्क ही करना मुझसे जो
इश्क वो आज़ाद हो
या मुझको चलना होगा गो
अश्क भरी बरसात हो

कुछ मुद्दत अकेले में
कुछ हँगाम सबसे जुदा कुछ
मुद्दत अकेले सबको
कुछ हँगाम सबसे जुदा

जब वली सबब-ए-कोफ़्त हो
है मुश्किल साफ दिल भी हो
पर वक़्त भुला देगा हर गम
गर गम मिटाने का हो दम

कुछ मुद्दत मुझे अकेले में
कुछ मुझे हँगाम सबसे जुदा
कुछ मुद्दत अकेले सबको
कुछ हँगाम सबसे जुदा जब

थम जाये तूफ़ान-ए-तर्स
और बाक़ी हो बस साया मेरा
इश्क मुझ ही से करना अर्ज़
जो गिला ना सहने पाये गैरा

ना घबराना तारीक से अब
राह ढूँढ ही लेंगे वो
कुछ भी हरदम हमता नहीं
वो अश्क भरी बरसात हो

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गन्स एंड रोज़ेज़ के गाने नोवेम्बर रेन से प्रेरित
अंग्रेज़ी लघुकथा 'विदाउट यू' पर आधारित

2 comments:

Rc said...

Is this like a true translation of the song? Tujhe pata hain mujhe itni hindi nahin aati hain :)

Thoda Khao Thoda Phenko said...

:) :) yeah it's somewhat exact....not word to word though :)