उन सब की याद में

कुछ लोग थे, मेरे ही जैसे
लंबा सफर तय कर थे आए
साथ में लाए थे कुछ गोला बारूद
कुछ गोलियाँ चलायीं, कुछ श्मशान जलाए
और मुझ जैसे ही कुछ लोग गिराए

कुछ ने गुस्सा किया
कुछ ने आँसू बहाए
और कुछों ने दिल में
पक्के कुछ इरादे बनाए
एक ने उँगली उठायी
दूसरे ने गर्दन हिलाई
और तीसरे ने
कभी उँगली उठायी, कभी गर्दन हिलाई



अब गुस्सा थम गया है
आँसू सब बह गए हैं
और इरादे जो पक्के थे
सारे अब डह गए हैं

कल शाम कब्रस्तान के दरवाज़े फिर से खोल दिए
और कुछ लोगों ने जाकर जश्न भी मनाया वहाँ पर

(उनकी याद में जो नहीं रहे.....
...और उनकी याद में जो बाक़ी हैं)


Image Courtesy - Indian Express