कुछ ख्वाहिशें अभी अधूरी सी
कुछ सपने अभी हैं बाक़ी
एक चुटकी समंदर की रेत
कुछ बूँद सेहरा का पानी
मुरझाये हुए फूल की खुश्बू
एक छोटा सा टुकड़ा चाँद का
जनवरी की बर्फ का बादल
सोए हुए सूरज की धूप
पलंग की लकडी का जंगल
अरमानों के पिंजर का खून
कुछ ख्वाहिशें अभी जवाँ हुई हैं
कुछ सपने पूरे होंगे कभी.....
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