रहबर



पंद्रह चाँद एक शब के...

पाँच...चमकना भूल गए...
चार की शुआ बाक़ी ले गए...
तीन... खो गए आसमान में
दो बादल के पीछे हैं...


एक बचा रहबर मेरा...
वो भी कुछ नाराज़ सा है!!!

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