खामखा


मेरा किस्सा बेज़ार तो बस खामखा है
बज़्म का हंगाम तो बस खामखा है
 
इस शब् के लाख चेहरे जवाँ हैं, 
सहर की आरज़ू तो बस खामखा है

तेरे फ़िराक के दर्द कुछ हसीं हैं, 
वस्ल की चाहत तो बस खामखा है

मौत का तस्सव्वुर खूबसूरत है, 
जीने की तमन्ना तो बस खामखा है

कासिद तेरे पैगाम में लफ्ज़ बेशुमार हैं 
जज़्बात की ख्वाहिश तो बस खामखा है 

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