ये शाम कुछ अजीब है


आज लगता है ज़िन्दगी किसी और शहर में है
आज लगता है मैकशी किसी और शहर में है

कल उमंगें भी थी इन बेज़ार सी गलियों में 
आज लगता है बंदगी किसी और शहर में है

कल शादाब सी थी शब सहर से मिलने में
आज लगता है चांदनी किसी और शहर में है

सन्नाटों से मुखातिब है ज़िन्दगी मैखानों में
आज लगता है दोस्ती किसी और शहर में है

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