सोने का लिफाफा

एक लिफाफा कागज़ का था

राह में बेसुध भटक रहा था

फिजा सुनहरी साथ थी उसके

उसके अन्दर चाँद छिपा था

हल्की नीली शक्ल पे उसकी

काला स्याह एक हरफ चढा था

ख़त के ऊपर नाम था मेरा

पता भी मेरे आँगन का था

चाँद की आँखें सुर्ख लाल थी

लबों से तारे बिखर रहे थे

ग्यारह तारे आसमान में

एक मेरी मुट्ठी में कैद था

हथेलियों पर ख़ाक जमी थी

तारा मेरे नाम का ना था

बारह तारे आसमान में

एक लिफाफा फटा हुआ था

एक लिफाफा कागज़ का था

जिसके अन्दर चाँद छुपा था

फिजा सुनहरी साथ में लेकर

उसका चेहरा ज़र्द पड़ा था

3 comments:

Smart Indian said...

अति सुंदर!

Anonymous said...

absolutely brilliant :)

Thoda Khao Thoda Phenko said...

thanks :)